कब साथ निभाते है लोग
आंसुओ की तरह बिछड़ जाते है लोग
वो जमाना और था जब रोते थे गैरो के लिए लोग
अब तो अपनों को ही रुलाकर मुस्कराते है लोग
Asli Shayari | Sher | Shayar | Ghazal | Nazm
कब साथ निभाते है लोग
आंसुओ की तरह बिछड़ जाते है लोग
वो जमाना और था जब रोते थे गैरो के लिए लोग
अब तो अपनों को ही रुलाकर मुस्कराते है लोग
Real Shayari Ek Koshish hai Duniya ke tamaan shayar ko ek jagah laane ki.