ना जाने क्यों तेरा मिलकर बिछड़ना बहुत याद आता है
रो पड़ती हूँ में जब गुजरा जमाना याद आता है
नहीं भूल पायी हूँ में अब तक तुझे
क्या तुझको भी मेरा फ़साना याद आता है
Asli Shayari | Sher | Shayar | Ghazal | Nazm
ना जाने क्यों तेरा मिलकर बिछड़ना बहुत याद आता है
रो पड़ती हूँ में जब गुजरा जमाना याद आता है
नहीं भूल पायी हूँ में अब तक तुझे
क्या तुझको भी मेरा फ़साना याद आता है
Real Shayari Ek Koshish hai Duniya ke tamaan shayar ko ek jagah laane ki.