तुम बिन जाऊँ कहाँ, के दुनिया में आके
कुछ न फिर चाहा कभी तुमको चाहके, तुम बिन …
देखो मुझे सर से कदम तक, सिर्फ़ प्यार हूँ मैं
गले से लगालो के तुम्हारा बेक़रार हूँ मैं
तुम क्या जानो के भटकता फिरा
मैं किस गली, तुमको चाह के …
अब है सनम हर मौसम, प्यार के काबिल
पड़ी जहाँ छाओं हमारी, सज गयी महफ़िल
महफ़िल क्या तनहाई में भी
लगता है जी, तुमको चाह के …