एक नदिया है मज़बूरी की
उस पार हो तुम इस पार है हम
अब पार उतरना है मुश्किल
मुझे बेवस बेकल रहने दो
तुम भूल गए क्या गिला करे
तुम तुम जैसे थे हम जैसे नहीं
कुछ अश्क बहँगे याद में बस
अब दर्द का सावन रहने दो
Asli Shayari | Sher | Shayar | Ghazal | Nazm
एक नदिया है मज़बूरी की
उस पार हो तुम इस पार है हम
अब पार उतरना है मुश्किल
मुझे बेवस बेकल रहने दो
तुम भूल गए क्या गिला करे
तुम तुम जैसे थे हम जैसे नहीं
कुछ अश्क बहँगे याद में बस
अब दर्द का सावन रहने दो
Real Shayari Ek Koshish hai Duniya ke tamaan shayar ko ek jagah laane ki.