रफ्तार जिंदगी की कुछ यू बनाए रखें
के दुश्मन आगे निकल जाए
पर दोस्त कोई पिछे ना छूटे
छोड़ दो अब उससे वफा की उम्मीद गालिब
जो रुला सकता है वह भुला भी सकता है
मोहब्बत में नहीं है फर्क जीने और मरने का
उसी को देख कर जीते हैं जिस काफिर पे दम निकले
Asli Shayari | Sher | Shayar | Ghazal | Nazm
रफ्तार जिंदगी की कुछ यू बनाए रखें
के दुश्मन आगे निकल जाए
पर दोस्त कोई पिछे ना छूटे
छोड़ दो अब उससे वफा की उम्मीद गालिब
जो रुला सकता है वह भुला भी सकता है
मोहब्बत में नहीं है फर्क जीने और मरने का
उसी को देख कर जीते हैं जिस काफिर पे दम निकले
Real Shayari Ek Koshish hai Duniya ke tamaan shayar ko ek jagah laane ki.