शाम सूरज को ढलना सिखाती है
शमां परवाने को जलना
गिरने पर चोट तो जरूर लगती है
लेकिन ठोकर ही इंसान को चलना सिखाती है |
Asli Shayari | Sher | Shayar | Ghazal | Nazm
शाम सूरज को ढलना सिखाती है
शमां परवाने को जलना
गिरने पर चोट तो जरूर लगती है
लेकिन ठोकर ही इंसान को चलना सिखाती है |
Real Shayari Ek Koshish hai Duniya ke tamaan shayar ko ek jagah laane ki.
Very Nice Shayari But My Suggestions You Will Make a Many More Shayari Collection in Your Blog
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