हम हैं राही प्यार के, हमसे कुछ ना बोलिए
जो भी प्यार से मिला, हम उसी के हो लिए
दर्द भी हमें कुबूल, चैन भी हमें कुबूल
हमने हर तरह के फूल, हार में पिरो लिए
जो भी प्यार…
धूप थी नसीब में, तो धूप लिया है दम
चाँदनी मिली तो हम, चाँदनी में सो लिए
जो भी प्यार…
दिल पे आसरा लिए, हम तो बस यूँ ही जिये
इक कदम पे हँसस लिए, इक कदम पे रो लिए
जो भी प्यार…
राह में पड़े हैं हम, कब से आप की क़सम
देखिये तो कम से कम, बोलिए न बोलिए
जो भी प्यार…
मजरूह सुल्तानपुरी