संभाले नहीं संभलता है दिल,
मोहब्बत की तपिश से न जला,
इश्क तलबगार है तेरा चला आ,
अब ज़माने का बहाना न बना।
![](https://www.realshayari.com/wp-content/uploads/2021/04/संभाले-नहीं-संभलता-है-दिल.jpg)
Asli Shayari | Sher | Shayar | Ghazal | Nazm
संभाले नहीं संभलता है दिल,
मोहब्बत की तपिश से न जला,
इश्क तलबगार है तेरा चला आ,
अब ज़माने का बहाना न बना।
Real Shayari Ek Koshish hai Duniya ke tamaan shayar ko ek jagah laane ki.