याद है शादी में भी हंगामा-ए-या-रब मुझे

याद है शादी में भी हंगामा-ए-या-रब मुझे | मिर्ज़ा ग़ालिब

 

याद है शादी में भी हंगामा-ए-या-रब मुझे

सुब्हा-ए-ज़ाहिद हुआ है ख़ंदा ज़ेर-ए-लब मुझे

 

है कुशाद-ए-ख़ातिर-ए-वा-बस्ता दर रहन-ए-सुख़न

था तिलिस्म-ए-क़ुफ़्ल-ए-अबजद ख़ाना-ए-मकतब मुझे

 

या रब इस आशुफ़्तगी की दाद किस से चाहिए

रश्क आसाइश पे है ज़िंदानियों की अब मुझे

 

तब्अ’ है मुश्ताक़-ए-लज़्ज़त-हा-ए-हसरत क्या करूँ

आरज़ू से है शिकस्त-ए-आरज़ू मतलब मुझे

 

दिल लगा कर आप भी ‘ग़ालिब’ मुझी से हो गए

इश्क़ से आते थे माने मीरज़ा साहब मुझे

 

याद है शादी में भी हंगामा-ए-या-रब मुझे | मिर्ज़ा ग़ालिब

By Real Shayari

Real Shayari Ek Koshish hai Duniya ke tamaan shayar ko ek jagah laane ki.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *