मजरूह सुल्तानपुरी की टॉप 10 शायरियां मजरूह सुल्तानपुरी साहब अपनी शायरी में मोहब्बत, दर्द, संघर्ष और हौसले की खूबसूरत झलक पेश करते हैं। उनकी ग़ज़लों और गीतों ने लोगों के दिलों में एक खास जगह बनाई है। पेश हैं उनकी 10 बेहतरीन शायरियां:
मजरूह सुल्तानपुरी की टॉप 10 शायरियां
1. मोहब्बत की शिद्दत
मैं अकेला ही चला था जानिब-ए-मंज़िल मगर,
लोग साथ आते गए और कारवां बनता गया।
2. हाल-ए-दिल
तेरा मिलना खुशी की बात सही,
तुझसे मिलकर उदास रहता हूँ।
3. वफ़ा की राहें
हमसे भागी थी तुम बहारों में,
अब सजा लीजिए खिज़ाओं में।
4. दर्द-ए-दिल
रफ्ता-रफ्ता वो मेरे दिल के मेहमान हो गए,
पहले जान, फिर जान-ए-जान, फिर जान हो गए।
5. इश्क़ और जुदाई
अब तो हर दर्द का एहसास है मरहम जैसा,
अब तो हर ज़ख्म का हर लफ्ज़ है मरहम जैसा।
6. ज़िंदगी और हौसला
मैं ज़िंदगी का साथ निभाता चला गया,
हर फिक्र को धुएं में उड़ाता चला गया।
7. तन्हाई का आलम
जब भी आता है तेरा नाम मेरी बातों में,
दिल के कूचे में चरागों की तरह जलते हैं।
8. सफर और मंज़िल
राह में हमने उनसे पूछा कि कहाँ तक चलोगे,
हंस के बोले जहाँ तक तेरा दिल चाहे।
9. जज़्बात और हालात
जो मिला वही महबूब बन बैठे,
हम भी कितने मासूम थे, क्या से क्या समझ बैठे।
10. खुद्दारी और इज़्ज़त
मैं अकेला ही चला था जानिब-ए-मंज़िल मगर,
लोग साथ आते गए और कारवां बनता गया।
✨ मजरूह सुल्तानपुरी की शायरी दिलों को छू लेने वाली होती है। उनकी शायरी का हर लफ्ज़ जिंदगी की सच्चाइयों को बयां करता है। 💖