हर पल मुझको एक ही
ख़याल सता सा जाता है ,
इस तेज़ रफ़्तार ज़िन्दगी में,
कौन है जो मेरा अपना सा है ?
कौन तेरा अपना सा है
सुबह से लेकर रात तक, सिर्फ
भागता दौड़ता जो रहता है,
घर जाते वक़्त दिल सोचता है,
किस वास्ते तू घर लौटता है ?
ये थकान ही गर सुकून है तो,
तू क्यों उदास होता है दिल,
इसी की है, क्या चाहत तुझे?
या कुछ और तेरा सपना सा है
तू है तो बहुत मज़बूत और
तुझमे में वो जज़्बा अब भी है!
पर जिन्हे सोचता है दिन रात तू,
उन मंज़िलों की सीढ़ी बड़ी लम्बी है!
इस सफर में आएंगे बहुत और,
बनेंगे ढेरो रिश्ते भी, पर दिल
ना रखना आशा तू किसी से, क्योकि
सफर अकेले ही तय करना है!
जो फिर भी लगे कभी तुझे,
कि मिल गया है तुझे साथी कोई,
तो हाथ थामकर पूछना उससे,
क्या तू ही मेरा अपना सा है?
ना मिले जवाब भी तो क्या,
ना रहे जो कोई साथ तो क्या,
तूने कोशिश तो की, जुड़ जाने की,
अब देख, कि कौन तन्हा सा है!
जो तुझे संभाले और सवारे भी,
तेरे सफर को कर दे आसान जो,
जिसके साथ करे हसने का मन,
जो लौटाए तुझे तेरा बचपन,
जो दे हर हालात में साथ तेरा,
तेरे वास्ते लड़ जाए, हर किसी से जो
तेरी हंसी हो जिसकी ख़ुशी कि वजह,
बस्स्स वही है! जो तेरा अपना सा है!कौन तेरा अपना सा है
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