कभी रो लेने दो अपने कंधे पर सिर रखकर मुझे

कभी रो लेने दो अपने कंधे पर सिर रखकर मुझे कि दर्द का बबंडर अब संभाला नहीं जाता कब तक छुपा के रखें आँखों में इसे कि आंसुओ का समंदर…

आपकी नयी सुबह इतनी सुहानी हो जाए

आपकी नयी सुबह इतनी सुहानी हो जाए दुखों की सारी बातें आपकी पुरानी हो जाए दे जाए खुशिया आपको हर नया दिन कि ख़ुशी भी आपकी दीवानी हो जाए

दुश्मन भी हमारे मुरीद है शायद

दुश्मन भी हमारे मुरीद है शायद वक़्त वे वक़्त मेरा नाम लिया करते है मेरी गली से निकलते है खंजर छुपा के रूबरू होने पर सलाम किया करते है