दुश्मन भी हमारे मुरीद है शायद
वक़्त वे वक़्त मेरा नाम लिया करते है
मेरी गली से निकलते है खंजर छुपा के
रूबरू होने पर सलाम किया करते है
Asli Shayari | Sher | Shayar | Ghazal | Nazm
दुश्मन भी हमारे मुरीद है शायद
वक़्त वे वक़्त मेरा नाम लिया करते है
मेरी गली से निकलते है खंजर छुपा के
रूबरू होने पर सलाम किया करते है
Real Shayari Ek Koshish hai Duniya ke tamaan shayar ko ek jagah laane ki.