ये ज़िन्दगी…..
ये ज़िन्दगी हमसे कुछ खफा खफा हैकौन सी ये अदा इसकी पहली दफा है।
Asli Shayari | Sher | Shayar | Ghazal | Nazm
ये ज़िन्दगी हमसे कुछ खफा खफा हैकौन सी ये अदा इसकी पहली दफा है।
कुछ झूठे ख्वाबकुछ अधूरी खवाहिशेज़िंदा रहने के लिएकुछ तो सामान चाहिए।
जिसे कहते हो तुम हमारी बर्बादीवो मेरी खुशनसीबी की ज़रा सी दास्ता हैं।
मिजाज इश्क़ के मेरे ज़रा हसास हैंतेरे गुरूर का बोझ उठा नहीं सकता ।
एक उम्र तमाम हुई उनके इंतज़ार मैंउसने आने का वादा किया हो ऐसा भी नहीं।
कोई दर्द न था जब तक हमदर्द न थाहमदर्द क्या मिला की ज़ख्म कोई नया।
कोई पूछे आशिको से जूनून क्या हैइश्क़ क्या है दर्द की लज़्ज़त क्या है।
सबब लूटने का गर कोई पूछे तो ये कहनासाथ उनका न हो तो हमें जीना नहीं आता।
जाने ऐसी भी क्या तिश्नगी थी उनसेआखरी सांस थी और तसव्वुर उनके साथ का।
इजाज़त हो तो कुछ अर्ज़ करेंवो लूट कर भी हमें अमीर कर गया।