रिश्तो से मुकर जाना दस्तूर है….
रिश्तो से मुकर जाना दस्तूर है दुनिया कामोहोब्बत जिन से हो जाये वो दिलो से नहीं जाते।
Asli Shayari | Sher | Shayar | Ghazal | Nazm
रिश्तो से मुकर जाना दस्तूर है दुनिया कामोहोब्बत जिन से हो जाये वो दिलो से नहीं जाते।
ख़ामोशी बढ़ गयी है इस्कदरकी सन्नाटो की भी चीखे सुनाई पड़ती हैं।
एक शोर है मुझ मैंजो खामोश बहोत है।
एक खलिश मेरे दिल में कुछ यु रह गयीज़िन्दगी मैं ज़रा ज़िन्दगी कुछ कम रह गयी।
घर से दूर मैं आसमा नापने निकलापर एक घोसला हर शाम याद आता है।
कोई सुबह हो ऐसी तेरा दीदार होकोई शाम तो ऐसी आये जो तू साथ हो।
जब जबाब ख़ामोशी मैं हो तोलफ्ज़ो से उलझना क्यों।
आप वापस आने की जहमत मत करनानाक़द्रों को भूल जाना अत है हमें। 1Like2:59 pm
ये चाँद की रौशनी मुझे हर रोज़ कहती हैकुछ किस्से मोहोब्बत के पूरा हुआ नहीं करते।
ये सोचो का ताल्लुक उनसे जुदा नहीं होतादेखा है कई बार हमने सांसो को रोक के।