सीमाब-पुश्त गर्मी-ए-आईना दे है हम | Mirza Ghalib
सीमाब-पुश्त गर्मी-ए-आईना दे है हम | Mirza Ghalib सीमाब-पुश्त गर्मी-ए-आईना दे है हम हैराँ किए हुए हैं दिल-ए-बे-क़रार के आग़ोश-ए-गुल कुशूदा बरा-ए-विदा है ऐ अंदलीब चल कि चले दिन बहार…
Asli Shayari | Sher | Shayar | Ghazal | Nazm
सीमाब-पुश्त गर्मी-ए-आईना दे है हम | Mirza Ghalib सीमाब-पुश्त गर्मी-ए-आईना दे है हम हैराँ किए हुए हैं दिल-ए-बे-क़रार के आग़ोश-ए-गुल कुशूदा बरा-ए-विदा है ऐ अंदलीब चल कि चले दिन बहार…
kisi ko de ke dil koi nawa-sanj-e-fughan kyun ho | Mirza Ghalib kisī ko de ke dil koī navā-sanj-e-fuġhāñ kyuuñ ho na ho jab dil hī siine meñ to phir…
रौंदी हुई है कौकबा-ए-शहरयार की | मिर्ज़ा ग़ालिब रौंदी हुई है कौकबा-ए-शहरयार की इतराए क्यूँ न ख़ाक सर-ए-रहगुज़ार की जब उस के देखने के लिए आएँ बादशाह लोगों में क्यूँ…
काबे में जा रहा तो न दो ता’ना क्या कहें | मिर्ज़ा ग़ालिब काबे में जा रहा तो न दो ता’ना क्या कहें भूला हूँ हक़्क़-ए-सोहबत-ए-अहल-ए-कुनिश्त को ताअ’त में ता…
फिर इस अंदाज़ से बहार आई | मिर्ज़ा ग़ालिब फिर इस अंदाज़ से बहार आई कि हुए मेहर-ओ-मह तमाशाई देखो ऐ साकिनान-ए-ख़ित्ता-ए-ख़ाक इस को कहते हैं आलम-आराई कि ज़मीं हो…
नहीं कि मुझ को क़यामत का ए’तिक़ाद नहीं | मिर्ज़ा ग़ालिब नहीं कि मुझ को क़यामत का ए’तिक़ाद नहीं शब-ए-फ़िराक़ से रोज़-ए-जज़ा ज़ियाद नहीं कोई कहे कि शब-ए-मह में क्या…
बहुत सही ग़म-ए-गीती शराब कम क्या है | मिर्ज़ा ग़ालिब बहुत सही ग़म-ए-गीती शराब कम क्या है ग़ुलाम-ए-साक़ी-ए-कौसर हूँ मुझ को ग़म क्या है तुम्हारी तर्ज़-ओ-रविश जानते हैं हम क्या…
क्यूँकर उस बुत से रखूँ जान अज़ीज़ | मिर्ज़ा ग़ालिब क्यूँकर उस बुत से रखूँ जान अज़ीज़ क्या नहीं है मुझे ईमान अज़ीज़ दिल से निकला पे न निकला दिल…
aah ko chāhiye ik umr asar hote tak kaun jiitā hai tirī zulf ke sar hote tak dām-e-har-mauj meñ hai halqa-e-sad-kām-e-nahañg dekheñ kyā guzre hai qatre pe guhar hote tak…
हर एक बात पे कहते हो तुम कि तू क्या है तुम्हीं कहो कि ये अंदाज़-ए-गुफ़्तुगू क्या है न शो’ले में ये करिश्मा न बर्क़ में ये अदा कोई बताओ…