ज़िंदगी के एहसास नए दौर की शायरी
ज़िंदगी के एहसास नए दौर की शायरी जब अल्फ़ाज़ दिल की गहराइयों से निकलते हैं, तो शायरी बन जाती है! शायरी सिर्फ़ शब्दों का खेल नहीं, यह दिल के एहसासों…
Asli Shayari | Sher | Shayar | Ghazal | Nazm
ज़िंदगी के एहसास नए दौर की शायरी जब अल्फ़ाज़ दिल की गहराइयों से निकलते हैं, तो शायरी बन जाती है! शायरी सिर्फ़ शब्दों का खेल नहीं, यह दिल के एहसासों…
इस ब्लॉग में, हम आपको शाहरयार की 20 बेहद दिलचस्प शेर प्रस्तुत कर रहे हैं, जो इश्क, उम्मीद, और जीवन की गहराइयों को छूने का प्रयास करते हैं। शाहरयार की…
1. “ख़ुदी को कर बुलंद इतना कि हर तक़दीर से पहले, ख़ुदा बंदे से ख़ुद पूछे बता तेरी रज़ा क्या है.” इस शेर में अल्लामा इकबाल ने ख़ुदी के महत्व…
सीमाब-पुश्त गर्मी-ए-आईना दे है हम | Mirza Ghalib सीमाब-पुश्त गर्मी-ए-आईना दे है हम हैराँ किए हुए हैं दिल-ए-बे-क़रार के आग़ोश-ए-गुल कुशूदा बरा-ए-विदा है ऐ अंदलीब चल कि चले दिन बहार…
kisi ko de ke dil koi nawa-sanj-e-fughan kyun ho | Mirza Ghalib kisī ko de ke dil koī navā-sanj-e-fuġhāñ kyuuñ ho na ho jab dil hī siine meñ to phir…
रौंदी हुई है कौकबा-ए-शहरयार की | मिर्ज़ा ग़ालिब रौंदी हुई है कौकबा-ए-शहरयार की इतराए क्यूँ न ख़ाक सर-ए-रहगुज़ार की जब उस के देखने के लिए आएँ बादशाह लोगों में क्यूँ…
काबे में जा रहा तो न दो ता’ना क्या कहें | मिर्ज़ा ग़ालिब काबे में जा रहा तो न दो ता’ना क्या कहें भूला हूँ हक़्क़-ए-सोहबत-ए-अहल-ए-कुनिश्त को ताअ’त में ता…
फिर इस अंदाज़ से बहार आई | मिर्ज़ा ग़ालिब फिर इस अंदाज़ से बहार आई कि हुए मेहर-ओ-मह तमाशाई देखो ऐ साकिनान-ए-ख़ित्ता-ए-ख़ाक इस को कहते हैं आलम-आराई कि ज़मीं हो…
नहीं कि मुझ को क़यामत का ए’तिक़ाद नहीं | मिर्ज़ा ग़ालिब नहीं कि मुझ को क़यामत का ए’तिक़ाद नहीं शब-ए-फ़िराक़ से रोज़-ए-जज़ा ज़ियाद नहीं कोई कहे कि शब-ए-मह में क्या…
बहुत सही ग़म-ए-गीती शराब कम क्या है | मिर्ज़ा ग़ालिब बहुत सही ग़म-ए-गीती शराब कम क्या है ग़ुलाम-ए-साक़ी-ए-कौसर हूँ मुझ को ग़म क्या है तुम्हारी तर्ज़-ओ-रविश जानते हैं हम क्या…