Ghar ka rasta bhi mila tha shayad
ghar kā rasta bhī milā thā shāyad raah meñ sañg-e-vafā thā shāyad is qadar tez havā ke jhoñke shāḳh par phuul khilā thā shāyad jis kī bātoñ ke fasāne likkhe…
ghar kā rasta bhī milā thā shāyad raah meñ sañg-e-vafā thā shāyad is qadar tez havā ke jhoñke shāḳh par phuul khilā thā shāyad jis kī bātoñ ke fasāne likkhe…
नहीं जो दिल में जगह तो नजर में रहने दो,मेरी हयात को तुम अपने असर में रहने दो,मैं अपनी सोच को तेरी गली में छोड़ आया हूँ,मेरे वजूद को ख़्वाबों…
एक उम्र तमाम हुई उनके इंतज़ार मैंउसने आने का वादा किया हो ऐसा भी नहीं।
सबब लूटने का गर कोई पूछे तो ये कहनासाथ उनका न हो तो हमें जीना नहीं आता।
जाने ऐसी भी क्या तिश्नगी थी उनसेआखरी सांस थी और तसव्वुर उनके साथ का।
इजाज़त हो तो कुछ अर्ज़ करेंवो लूट कर भी हमें अमीर कर गया।
कुछ चाय सा इश्क़ है हमें आप सेन मिलो तो चैन नहीं आता।
कभी उतरो तो इश्क़ के दरिया मेंकी किनारो के मुसाफिर हम नहीं हैं।
ज़िन्दगी सच मैं अगर होती चार दिन कीदिलो को तोड़ने मैं इसे कोई न गवाता।
उलझा रहने दो मुझेयुहीं तुम्हारे दरमियानसुलझ गए हम अगर तोदूरियाँ दास्तां बुनेंगी।