Category: Mirza Ghalib

है वस्ल हिज्र आलम-ए-तमकीन-ओ-ज़ब्त में | मिर्ज़ा ग़ालिब

है वस्ल हिज्र आलम-ए-तमकीन-ओ-ज़ब्त में | मिर्ज़ा ग़ालिब है वस्ल हिज्र आलम-ए-तमकीन-ओ-ज़ब्त में माशूक़-ए-शोख़ ओ आशिक़-ए-दीवाना चाहिए उस लब से मिल ही जाएगा बोसा कभी तो हाँ शौक़-ए-फ़ुज़ूल ओ जुरअत-ए-रिंदाना…

गुलशन में बंदोबस्त ब-रंग-ए-दिगर है आज | मिर्ज़ा ग़ालिब

गुलशन में बंदोबस्त ब-रंग-ए-दिगर है आज | मिर्ज़ा ग़ालिब गुलशन में बंदोबस्त ब-रंग-ए-दिगर है आज क़ुमरी का तौक़ हल्क़ा-ए-बैरून-ए-दर है आज आता है एक पारा-ए-दिल हर फ़ुग़ाँ के साथ तार-ए-नफ़स…

ख़मोशियों में तमाशा अदा निकलती है | मिर्ज़ा ग़ालिब

ख़मोशियों में तमाशा अदा निकलती है | मिर्ज़ा ग़ालिब ख़मोशियों में तमाशा अदा निकलती है निगाह दिल से तिरे सुर्मा-सा निकलती है फ़शार-ए-तंगी-ए-ख़ल्वत से बनती है शबनम सबा जो ग़ुंचे…

ख़मोशियों में तमाशा अदा निकलती है | मिर्ज़ा ग़ालिब

ख़मोशियों में तमाशा अदा निकलती है | मिर्ज़ा ग़ालिब ख़मोशियों में तमाशा अदा निकलती है निगाह दिल से तिरे सुर्मा-सा निकलती है फ़शार-ए-तंगी-ए-ख़ल्वत से बनती है शबनम सबा जो ग़ुंचे…

हो गई है ग़ैर की शीरीं-बयानी कारगर | मिर्ज़ा ग़ालिब

हो गई है ग़ैर की शीरीं-बयानी कारगर | मिर्ज़ा ग़ालिब हो गई है ग़ैर की शीरीं-बयानी कारगर इश्क़ का उस को गुमाँ हम बे-ज़बानों पर नहीं ज़ब्त से मतलब ब-जुज़…

मिरी हस्ती फ़ज़ा-ए-हैरत आबाद-ए-तमन्ना है | Mirza Ghalib

मिरी हस्ती फ़ज़ा-ए-हैरत आबाद-ए-तमन्ना है | Mirza Ghalib मिरी हस्ती फ़ज़ा-ए-हैरत आबाद-ए-तमन्ना है जिसे कहते हैं नाला वो उसी आलम का अन्क़ा है ख़िज़ाँ क्या फ़स्ल-ए-गुल कहते हैं किस को…

लब-ए-ख़ुश्क दर-तिश्नगी-मुर्दगाँ का | Mirza Ghalib

लब-ए-ख़ुश्क दर-तिश्नगी-मुर्दगाँ का | Mirza Ghalib लब-ए-ख़ुश्क दर-तिश्नगी-मुर्दगाँ का ज़ियारत-कदा हूँ दिल-आज़ुर्दगाँ का हमा ना-उमीदी हमा बद-गुमानी मैं दिल हूँ फ़रेब-ए-वफ़ा-ख़ुर्दगाँ का शगुफ़्तन कमीं-गाह-ए-तक़रीब-जूई तसव्वुर हूँ बे-मोजिब आज़ुर्दगाँ का ग़रीब-ए-सितम-दीदा-ए-बाज़-गश्तन…

सफ़ा-ए-हैरत-ए-आईना है सामान-ए-ज़ंग आख़िर | Mirza Ghalib

सफ़ा-ए-हैरत-ए-आईना है सामान-ए-ज़ंग आख़िर | Mirza Ghalib सफ़ा-ए-हैरत-ए-आईना है सामान-ए-ज़ंग आख़िर तग़य्युर आब-ए-बर-जा-मांदा का पाता है रंग आख़िर न की सामान-ए-ऐश-ओ-जाह ने तदबीर वहशत की हुआ जाम-ए-ज़मुर्रद भी मुझे दाग़-ए-पलंग…