मेरे चहरे को तबसे कोई आइना अच्छा नहीं लगता है
तेरी आँखों में जबसे मैंने अपना अक्स देखा है मेरे चहरे को तबसे कोई आइना अच्छा नहीं लगता है
Asli Shayari | Sher | Shayar | Ghazal | Nazm
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तेरी आँखों में जबसे मैंने अपना अक्स देखा है मेरे चहरे को तबसे कोई आइना अच्छा नहीं लगता है
किसी के दिल में बसना बुरा तो नहीं किसी को दिल में बसाना खता तो नहीं है अगर यह ज़माने के लिए बुरा तो क्या हुआ ज़माने वाले भी इंसान…
बड़ी मुद्दत से चाहा है तुझे बड़ी मुश्किल से पाया है तुझे तुझसे अलग होने की सोचु भी कैसे किस्मत की लकीरो से चुराया है तुझे
दर्द होता नहीं दुनिया को दिखने के लिए हर कोई रोता नहीं आंसू बहाने के लिए रूठने का मजा तो तब आता है जब होता है कोई मनाने के लिए
वो लगा रहे है मुझपर झूठे इंजाम कि मैंने उन्हें रुलाया है जरा सोचो मैं कैसे उसको रुला सकता हूँ जिसे मैंने खुद रो रो के माँगा हो
साथ अगर दोगे तो मुस्करायेंगे जरूर प्यार अगर दिल से करोगे तो निभायेंगे जरूर राह में चाहे जितने भी कांटे क्यों ना हौ आवाज दिल से लगाओगे तो आयंगे जरूर
यह तेरी कैसी मोहब्बत है जालिम दिल अब दिल ना रहा सरकारी दफ्तर बन गया है ना कोई काम करने को ना किसी की बात सुनने को तैयार है
इश्क़ ऐसा करो कि भुला ना जाये अगर साँस भी लो तो खुशबू उसकी आये प्यार का नशा आँखों पर ऐसा छाये बात किसी की भी हो नाम उसी का…
कभी उनकी आँखों से इज़हार होगा दिल के किसी कोने में हमारे लिए भी प्यार तो होगा गुज़र रही है रात उनकी याद में कभी उनको भी हमारा इंतज़ार तो…
अजीब सी आदत है अपनी और गजब सी फितरत है चाहे प्यार हो या नफरत बहुत सिद्धत से करते है