रह न पाओगे भुलाकर देखलो
रह न पाओगे भुलाकर देखलो यकीं ना आये तो आजमा कर देखलो हर जगह महसूस होगी मेरी कमी अपनी महफ़िल को कितना भी सजा कर देखलो
Asli Shayari | Sher | Shayar | Ghazal | Nazm
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रह न पाओगे भुलाकर देखलो यकीं ना आये तो आजमा कर देखलो हर जगह महसूस होगी मेरी कमी अपनी महफ़िल को कितना भी सजा कर देखलो
साथ अगर दोगे तो मुस्करायेंगे जरूर प्यार अगर दिल से करोगे तो निभायेंगे जरूर राह में कितने भी कांटे क्यों ना हो आवाज अगर दिल से दोगे तो आयंगे जरूर
उनका भी हम कभी दीदार करते है उनसे भी कभी हम प्यार करते है क्या करे जो उनको हमारी जरुरत ना थी पर फिर भी हम उनका इन्तजार करते है
चमन से बिछड़ा हुआ एक गुलाब हूँ में मै खुद ही अपनी तबाही का जवाब हूँ यूँ निगाहें ना फेर मुझसे ऐ मेरे महबूब मैं तेरी चाहतो में ही हुआ…
बड़े ही चुपके से भेजा था मेरे महबूब ने मुझे गुलाब कमब्खत उसकी खुशबू ने सारे शहर में हंगामा मचा दिया
किसी की यादों को रोक पाना मुश्किल है रोते हुए दिल को मनाना मुश्किल है ये दिल अपनों को कितना याद करता है ये कुछ लफ्जो में बयां करना मुश्किल…
दिल तड़पता रहा और वो जाने लगे संग गुजरे हर लम्हे याद आने लगे खामोश नजरो से जब मुड़कर देखा उसने तो भीगी पलकों से हम भी मुस्कराने लगे
तेरे गम को में अपनी रूह में उतार लूँ जिंदगी तेरी चाहत में सवार लूँ मुलाकात हो तुझसे इस कदर कि में अपनी सारी जिंदगी एक मुलाकात में गुजार लूँ
जरुरी तो नहीं कि इंसान प्यार की मूरत हो जरुरी तो नहीं कि हर कोई अच्छा और खूबसूरत हो लेकिन सबसे अच्छा वही इंसान है जो आपके साथ हो जब…
खुशनसीब होते है बादल जो दूर रहकर भी जमीन पर बरसते है और एक बदनसीब हम है जो एक ही दुनिया में रहकर मिलने को तरसते है