जीने की चाह में हर रोज मरते है
जीने की चाह में हर रोज मरते है वो आये ना आये हम इंतजार करते है झूठा ही सही मेरे प्यार का वादा हम आज भी सच मानकर उनका एतबार…
Asli Shayari | Sher | Shayar | Ghazal | Nazm
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जीने की चाह में हर रोज मरते है वो आये ना आये हम इंतजार करते है झूठा ही सही मेरे प्यार का वादा हम आज भी सच मानकर उनका एतबार…
अगर इतनी ही नफरत करते है आप हमसे तो रब से ऐसे दुआ करिये कि आपकी दुआ भी पूरी हो जाये और हमारी जिंदगी भी
जिंदगी में जितने हमदर्द मिलते है सच कहु तो सबसे ज्यादा दर्द उन्ही से मिलते है |
खुश हो जाता हूँ अक्सर तेरा नाम सुनकर मुस्करा जाता हूँ तेरी तस्वीर देखकर तो सोच जब तेरे नाम से इतनी मोहब्बत है तो तुझसे कितनी मोहब्बत होगी |
अनकही सी कुछ बातें , लम्हों में समां जाती हैं यादों के समंदर में , अपना आशियाना बनाती है मीलों के फास्लो में , कुछ ठहराव वो लाती है ग़मो…
ज़रा तिरछी पड़ने लगी है किरन अब ज़रा सर्दियाँ सब्ज़ पत्तों में उतरीं ज़रा पड़ रही हैं कहीं और ही अब जवाँ हुस्न की बुल्हवस वो निगाहें तसव्वुर वो माज़ी…
मेरी यादो मे तुम हो, या मुझ मे ही तुम हो, मेरे खयालो मे तुम हो, या मेरा खयाल ही तुम हो, दिल मेरा धडक पूछे, बार बार एक ही…
मिल जायेंगा हमें भी कोई टूट के चाहने वाला… अब शहर का शहर तो बेवफा नहीं हो सकता …