अंग अंग में बसे हो थोड़ा वक़्त तो लगेगा ही
जल्दी भुला देंगे तुमको थोड़ा सा सब्र तो रखो अंग अंग में बसे हो थोड़ा वक़्त तो लगेगा ही
Asli Shayari | Sher | Shayar | Ghazal | Nazm
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जल्दी भुला देंगे तुमको थोड़ा सा सब्र तो रखो अंग अंग में बसे हो थोड़ा वक़्त तो लगेगा ही
एक जुर्म हुआ है हमसे हम भी किसी को दिल दे बैठे है अपना उसे समझ कर सब भेद दे बैठे है फिर उसके प्यार के लिए दिल और जान…
मेरे प्यार का भी अब वो इम्तहान लेते है दिल में कितनी जगह है पूछते है चाहते है हम उन्हें खुद से भी ज्यादा वो अब चाहने की भी वजह…
अपनों को दूर जाते देखा है सपनो को चूर होते देखा है लोग कहते है कि फूल कभी रोते नहीं अरे तन्हाइयो में हमने फूलों को भी रोते देखा है
शायद ये दिल तो किसी और के घर का परिंदा है जो सीने में तो रहता है लेकिन हमारे बस में नहीं रहता है
मज़बूरी में जब कोई जुदा होता है तो जरुरी नहीं कि वो बेवफा है देकर के आपकी आँखों में आँसू अकेले में आपसे ज्यादा वो रोता है
बड़े शोक से बनाया था उसने मेरे दिल में घर और जब रहने की बारी आयी तो ठिकाना बदल लिया
पहला प्यार सबको मिल जाय जरुरी तो नहीं जिसे आप चाहते है वो भी आपको चाहे जरुरी नहीं कुछ लोग बहुत याद करता है दिल वो भी हमें याद करें…
जिंदगी का हर जख्म उसकी मेहरवानी है मेरी जिंदगी की तो एक अधूरी सी कहानी है मिटा तो दें हर दर्द सीने से मगर दर्द ही तो उसकी आखिरी निशानी…
उनकी ख़ामोशी से हम परेशान क्यों है वो जिद्दी है हम नादान क्यों है उनकी आवाज से ही धड़कता है दिल तो फिर वो इस बात से अंजान क्यों है