मोहब्बत करने की सजा बेमिसाल मिली हमको
मोहब्बत करने की सजा बेमिसाल मिली हमको उदास रहने की आदत डाल दी हमको मैंने जब जब उसे प्यार की नजर से देखा उसने बार बार अनदेखा किया मुझको
Asli Shayari | Sher | Shayar | Ghazal | Nazm
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मोहब्बत करने की सजा बेमिसाल मिली हमको उदास रहने की आदत डाल दी हमको मैंने जब जब उसे प्यार की नजर से देखा उसने बार बार अनदेखा किया मुझको
ऐ दिल मत कर इतनी भी मोहब्बत किसी से इश्क़ में मिला दर्द तू सह नहीं पाएगा एक दिन टूटकर बिखर जायगा अपनों के हांथो से किसने तोडा है दिल…
ना जाने क्यों तेरा मिलकर बिछड़ना बहुत याद आता है रो पड़ती हूँ में जब गुजरा जमाना याद आता है नहीं भूल पायी हूँ में अब तक तुझे क्या तुझको…
जब भी किसी को करीब पाया है कसम खुदा की धोखा पाया है क्यों दोष देते है हम काँटों को जख्म तो हमको फूलों ने ही दिया है
कितना अजीब अपनी जिंदगी का सफर निकला सारे जहाँ का दर्द अपना मुकद्दर निकला जिसके नाम अपनी जिंदगी का हर लम्हा कर दिया अफ़सोस वो हमारी चाहत से बेखबर निकला
जिंदगी चाहत का सिलसिला है फिर भी जिसे चाहा वो कहा मिला है दुश्मनो से हमको कोई शिकायत नहीं अपनों ने ही लुटा बस इसी बात का गिला है जिसको…
कुछ भी नहीं है आज कहने को चन्द लब्जों के सिवा ना आँखों में है जज्बात चन्द आँखों के सिवा कदर तोड़ दिया उसने कि खुद को जोड़ पाना मुश्किल…
उनके सीने में कभी झांक कर देखो तो सही कितना रोते है अकेले में दुनिया को हसाने वाले
किसी के दिल में बसना बुरा तो नहीं किसी को दिल में बसाना खता तो नहीं है अगर यह ज़माने के लिए बुरा तो क्या हुआ ज़माने वाले भी इंसान…
दर्द होता नहीं दुनिया को दिखने के लिए हर कोई रोता नहीं आंसू बहाने के लिए रूठने का मजा तो तब आता है जब होता है कोई मनाने के लिए