दिल की धड़कन को अब एक लम्हा सबर नहीं
दिल की धड़कन को अब एक लम्हा सबर नहीं शायद अब उसको मेरी जरा भी कदर नहीं हर सफर में मेरा कभी हमसफ़र था वो अब सफर तो है मगर…
Asli Shayari | Sher | Shayar | Ghazal | Nazm
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दिल की धड़कन को अब एक लम्हा सबर नहीं शायद अब उसको मेरी जरा भी कदर नहीं हर सफर में मेरा कभी हमसफ़र था वो अब सफर तो है मगर…
एक पल की जुदाई गवारा कर ना सके ऐसा इश्क़ जो हम दुबारा कर ना सके जिंदगी भर पलट कर देखा ना कभी शिकवा फिर भी हम तुम्हारा कर ना…
पास नहीं हो फिर भी तुम्हें प्यार करते है देखकर तस्वीर तुम्हारी तुमको याद करते है दिल में कैसी तड़प है तुमसे दूर रहकर हर बार तुमसे मिलने की फरियाद…
अपना हमसफ़र बनाले मुझे तेरा ही साया हूँ अपनाले मुझे ये रात का सफर और भी हंसी हो जायगा तू आजा मेरे सपनो में या बुलाले मुझे
दरिया में अपनी कब्र बनाने चला गया सूरज को डूबने से बचाने चला गया तमन्ना तो सबसे आगे निकलने की थी मगर जो गिरे थे उनको उठाने चला गया अपनों…
इंतजार की आरजू अब खो गयी है खामोशियों की आदत अब हो गयी है ना शिकवा रहा ना शिकायत किसी से अगर है तो एक मोहब्बत जो इन तन्हाइयो से…
टुटा हो दिल अगर तो दुःख होता है किसी से मोहब्बत करके यह दिल रोता है दर्द का एहसास तब होता है जब किसी से मोहब्बत हो और उसके दिल…
अफ़सोस तो उस वक़्त होता है जब अपनी पसंद कोई और चुरा लेता है ख्वाब हम देखते है और हकीकत कोई और बना लेता है
कभी रूठना मत नहीं तो जिंदगी बिखर जायगी ये कोई खुली हुयी जुल्फ नहीं जो फिर से सवर जायगी जुदा ना होना कभी उससे जो जान देता हो तुम पर…
दिल के सागर में लहरें उठाया ना करो, ख्वाब बनकर नींद चुराया न करो, बहुत चोट लगती है मेरे दिल को, तुम ख़्वाबों में आ कर यु तड़पाया न करो..