शाम सूरज को ढलना सिखाती है
शाम सूरज को ढलना सिखाती है शमां परवाने को जलना गिरने पर चोट तो जरूर लगती है लेकिन ठोकर ही इंसान को चलना सिखाती है |
Asli Shayari | Sher | Shayar | Ghazal | Nazm
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शाम सूरज को ढलना सिखाती है शमां परवाने को जलना गिरने पर चोट तो जरूर लगती है लेकिन ठोकर ही इंसान को चलना सिखाती है |
सच्ची मोहब्बत तो दिल से होती है सच्चे रिश्ते भी दिल से होते है जरुरत के लिए बने रिश्ते अक्सर टूट जाया करते है |
मंजिल तक वही जाते है जिनके पास हुनर होता है सिर्फ पंखो से कुछ नहीं होता उड़ान हौसले से होती है |
हमें कहा मालूम था कि मोहब्बत क्या होती है | हमें कहा एहसास था कि दुनिया कैसी है | फिर तुम आये तो दुनिया खूबसूरत हो गयी और जिंदगी इश्क़…
ज़िन्दगी के सफर में , कोई हमसफ़र ना मिला हम किसी को ना मिले , और कोई हमे ना मिला
अनकही सी कुछ बातें , लम्हों में समां जाती हैं यादों के समंदर में , अपना आशियाना बनाती है मीलों के फास्लो में , कुछ ठहराव वो लाती है ग़मो…
ज़रा तिरछी पड़ने लगी है किरन अब ज़रा सर्दियाँ सब्ज़ पत्तों में उतरीं ज़रा पड़ रही हैं कहीं और ही अब जवाँ हुस्न की बुल्हवस वो निगाहें तसव्वुर वो माज़ी…
आप खुद नही जानते आप कितने प्यारे हो… जान तो हमारी पर जान से प्यारे हो….. दूर होने से कोई फर्क नही पड़ता…. आप कल भी हमारे थे आज भी…
मेरी यादो मे तुम हो, या मुझ मे ही तुम हो, मेरे खयालो मे तुम हो, या मेरा खयाल ही तुम हो, दिल मेरा धडक पूछे, बार बार एक ही…
क्यूं खुश हो जाता हु में तुम्हारी ख़ुशी देख के……! क्यूं हो जाता हूं मैं हताश तुम्हें उधास देख के ..! चहक सा उठा हूँ मैं जब मिलने की बारी…