खुश हूँ और सबको खुश रखता हूँ
खुश हूँ और सबको खुश रखता हूँ लापरवाह हूँ फिर भी सबकी परवाह करता हूँ मालुम है कोई मोल नहीं मेरा फिर भी अनमोल लोगों से रिश्ता रखता हूँ
Asli Shayari | Sher | Shayar | Ghazal | Nazm
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खुश हूँ और सबको खुश रखता हूँ लापरवाह हूँ फिर भी सबकी परवाह करता हूँ मालुम है कोई मोल नहीं मेरा फिर भी अनमोल लोगों से रिश्ता रखता हूँ
नाराजगी को कुछ देर चुप रहकर मिटा लिया करो गलतियों पर बात करके रिश्ते उलझ जाते है
जान कर भी वो हमें जान ना पाये आज तक वो हमें पहचान ना पाये खुद ही करली बेवफाई हमने उनसे ताकि उन पर वेवफाई का इल्जाम ना आये
एक नींद है जो रात भर नहीं आती एक नसीब है जो ना जाने कबसे सो रहा है
मेरी चाहत ने उसे ख़ुशी देदी बदले में उसने मुझे सिर्फ ख़ामोशी देदी खुदा से दुआ मांगी मरने की लेकिन उसने तड़पने के लिए जिंदगी देदी
आज खुदा ने फिर पूछा तेरा हसता हुआ चेहरा उदास क्यों है तेरी आँखों में प्यास क्यों है जिसके पास तेरे लिए वक़्त नहीं है वही तेरे लिए खास क्यों…
मोहब्बत की शमां जलाकर तो देखो जरा दिल की दुनिया सजा कर तो देखो तुम्हे हो ना जाये मोहब्बत तो कहना जरा हमसे नजरें मिलाकर तो देखो
टुटा हुआ फूल खुशबू दे जाता है बीता हुआ पल यादें दे जाता है हर शख्स का अपना अंदाज होता है कोई जिंदगी में प्यार तो कोई प्यार में जिंदगी…
दिल की आवाज को इज़हार करते है झुंकी नजर को इक़रार कहते है सिर्फ पाने का नाम इश्क़ नहीं कुछ खोने को भी प्यार कहते है
कोई माल से खुश है कोई दाल में खुश है खुशनसीब है वो जो हर हाल में खुश है