अपने गमो की तू नुमाइश ना कर
अपने गमो की तू नुमाइश ना कर अपने नसीब की तू यूँ आजमाइश ना कर जो तेरा है वो खुद तेरे दर पर चल कर आएगा रोज उसे पाने की…
Asli Shayari | Sher | Shayar | Ghazal | Nazm
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अपने गमो की तू नुमाइश ना कर अपने नसीब की तू यूँ आजमाइश ना कर जो तेरा है वो खुद तेरे दर पर चल कर आएगा रोज उसे पाने की…
एक नदिया है मज़बूरी की उस पार हो तुम इस पार है हम अब पार उतरना है मुश्किल मुझे बेवस बेकल रहने दो तुम भूल गए क्या गिला करे तुम…
चिराग से ना पूछो वाकी तेल कितना है सांसो से ना पूछो वाकी खेल कितना है पूछो उस कफ़न में लिपटे मुर्दे से जिंदगी में गम और कफ़न में चैन…
रह न पाओगे भुलाकर देखलो यकीं ना आये तो आजमा कर देखलो हर जगह महसूस होगी मेरी कमी अपनी महफ़िल को कितना भी सजा कर देखलो
साथ अगर दोगे तो मुस्करायेंगे जरूर प्यार अगर दिल से करोगे तो निभायेंगे जरूर राह में कितने भी कांटे क्यों ना हो आवाज अगर दिल से दोगे तो आयंगे जरूर
तेरी धड़कन ही जिंदगी का किस्सा है मेरा तू जिंदगी का अहम् हिस्सा है मेरा मेरी मोहब्बत तुझसे सिर्फ लफ्जो की नहीं है तेरी रूह से रूह तक का रिश्ता…
उनका भी हम कभी दीदार करते है उनसे भी कभी हम प्यार करते है क्या करे जो उनको हमारी जरुरत ना थी पर फिर भी हम उनका इन्तजार करते है
पत्थर से दोस्ती जान को खतरा पठान से दोस्ती दिमाग को खतरा दारू से दोस्ती लीवर को खतरा हमसे दोस्ती तो मैसेज का खतरा
चमन से बिछड़ा हुआ एक गुलाब हूँ में मै खुद ही अपनी तबाही का जवाब हूँ यूँ निगाहें ना फेर मुझसे ऐ मेरे महबूब मैं तेरी चाहतो में ही हुआ…
बड़े ही चुपके से भेजा था मेरे महबूब ने मुझे गुलाब कमब्खत उसकी खुशबू ने सारे शहर में हंगामा मचा दिया