ये सोचो का …..
ये सोचो का ताल्लुक उनसे जुदा नहीं होतादेखा है कई बार हमने सांसो को रोक के।
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ये सोचो का ताल्लुक उनसे जुदा नहीं होतादेखा है कई बार हमने सांसो को रोक के।
ये ज़िन्दगी हमसे कुछ खफा खफा हैकौन सी ये अदा इसकी पहली दफा है।
कुछ झूठे ख्वाबकुछ अधूरी खवाहिशेज़िंदा रहने के लिएकुछ तो सामान चाहिए।
जिसे कहते हो तुम हमारी बर्बादीवो मेरी खुशनसीबी की ज़रा सी दास्ता हैं।
मिजाज इश्क़ के मेरे ज़रा हसास हैंतेरे गुरूर का बोझ उठा नहीं सकता ।
एक उम्र तमाम हुई उनके इंतज़ार मैंउसने आने का वादा किया हो ऐसा भी नहीं।
अब इश्क़ इतना नादां भी नहींकी हर दफा तुम्ही से हो।
कोई दर्द न था जब तक हमदर्द न थाहमदर्द क्या मिला की ज़ख्म कोई नया।
मुझे आबाद कर या मुझे फ़ना करे कोईउसकी यादो से मुझसे जुदा करे कोई Like4:02 pm
दूर जाने का उसे क्या गम होगापास होकर भी वो कौन सा खुश था।