लोग अपना चेहरा खूब सजाते है
लोग अपना चेहरा खूब सजाते है जिस पर दुसरो की नजर होती है लेकिन कभी दिल नहीं सजाते है जिस पर ईश्वर की नजर होती है
Asli Shayari | Sher | Shayar | Ghazal | Nazm
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लोग अपना चेहरा खूब सजाते है जिस पर दुसरो की नजर होती है लेकिन कभी दिल नहीं सजाते है जिस पर ईश्वर की नजर होती है
किसी के भरोसे मत रह कोई साथ दे न दे चलना तू सिखले हर आग में जलना तू सीख ले कोई रोक ना पाए आगे बढ़ने से तुझे हर मुश्किल…
वो लगा रहे है मुझपर झूठे इंजाम कि मैंने उन्हें रुलाया है जरा सोचो मैं कैसे उसको रुला सकता हूँ जिसे मैंने खुद रो रो के माँगा हो
साथ अगर दोगे तो मुस्करायेंगे जरूर प्यार अगर दिल से करोगे तो निभायेंगे जरूर राह में चाहे जितने भी कांटे क्यों ना हौ आवाज दिल से लगाओगे तो आयंगे जरूर
यह तेरी कैसी मोहब्बत है जालिम दिल अब दिल ना रहा सरकारी दफ्तर बन गया है ना कोई काम करने को ना किसी की बात सुनने को तैयार है
हमे भी सीखा दो भूल जाने का हुनर हमसे भी रातों को उठकर रोया नहीं जाता
ना कर तलाश मंजिलों की खुदा खुद ही मंजिल तक पहुंचा देता है यूँ तो मरते नहीं लोग किसी के लिए क्योकि वक़्त सबको जीना सीखा देता है
अजीब सी आदत है अपनी और गजब सी फितरत है चाहे प्यार हो या नफरत बहुत सिद्धत से करते है
कभी कभी विना गलती के भी माफ़ी मांग लेते है हम क्योकि माफ़ी मांग लेने से कोई छोटा नहीं होता
किसी को मोहब्बत की गहराई मार डालती है किसी को मोहब्बत की सच्चाई मार डालती है मोहब्बत करके कोई नई बच पाया आज तक जो बच गया उसको तन्हाई मर…