अब इश्क़ इतना नादां भी नहीं….
अब इश्क़ इतना नादां भी नहींकी हर दफा तुम्ही से हो।
Asli Shayari | Sher | Shayar | Ghazal | Nazm
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अब इश्क़ इतना नादां भी नहींकी हर दफा तुम्ही से हो।
कोई दर्द न था जब तक हमदर्द न थाहमदर्द क्या मिला की ज़ख्म कोई नया।
मुझे आबाद कर या मुझे फ़ना करे कोईउसकी यादो से मुझसे जुदा करे कोई Like4:02 pm
इजाज़त हो तो कुछ अर्ज़ करेंवो लूट कर भी हमें अमीर कर गया।
दूर जाने का उसे क्या गम होगापास होकर भी वो कौन सा खुश था।
अनजान बने हो तो गुज़र क्यों नहीं जातेजान ही गए हो तो ठहर जाओ ना ।
ज़िन्दगी सच मैं अगर होती चार दिन कीदिलो को तोड़ने मैं इसे कोई न गवाता।
Is gulab ki pankhuriyon ki tarah tune hifazat ki hai meri..! Aie dost meri nazro me isse bhi zada ehmiyat hai teri..!!
Anjane me kuch alfaz nasuur banjate hai aksar..! Apne har alfaaz pe marham banane se acha hai..!! Mujhe apni soch ka mukhbir banalo tum..!!
Dost kahu ya yaar kahu, ya sabse pehla payar kahu..! Tu hai to lagta hai jyse, sab pe mai aitbar karu..!! Tu paas na ho to darr lagta hai, Tere…