दिलो को तोड़ने मैं …..
ज़िन्दगी सच मैं अगर होती चार दिन कीदिलो को तोड़ने मैं इसे कोई न गवाता।
Asli Shayari | Sher | Shayar | Ghazal | Nazm
ज़िन्दगी सच मैं अगर होती चार दिन कीदिलो को तोड़ने मैं इसे कोई न गवाता।
उलझा रहने दो मुझेयुहीं तुम्हारे दरमियानसुलझ गए हम अगर तोदूरियाँ दास्तां बुनेंगी।
अपना कहकर अपनापन दिखाकरप्यार जताकर वो कह गए खुश रहना………………..
वो वक़्त आने पर सब वादों से मुकर गया ये मेरा ज़र्फ़ था की मैं ख़ामोशी से बिखर गया………
जब उनको सोचता हूँ तो खुद को भूल जाता हूँ कभी हाल इश्क़ मैं उनका भी ऐसा था।
ये दिल और इसकी खामोख़ा की खुशफ़हमिया की जब भी मिला उन्हें अपना समझा।
जिस घड़ी तुमसे मुलाकात होती हैवो घड़ी मेरी क़ायनात होती है।
हम तड़पड़े हैं तो कीमत है तुम्हारीजो सब्र आ जाये तो फिर बात ही क्या I
महोब्बत न सही मेरी खुशफहमी ही रहने दो की दिल में जीने की ख्वाहिश ज़रा सी और बाकी है I
Ban kar ye Gulab, mai teri zindagi me aik musk ki tarah bas jaunga..! Jo tu muskurae to pighalta hua tere labo pe cha jaunga..!!