वो वक़्त आने पर सब वादों से मुकर गया………
वो वक़्त आने पर सब वादों से मुकर गया ये मेरा ज़र्फ़ था की मैं ख़ामोशी से बिखर गया………
Asli Shayari | Sher | Shayar | Ghazal | Nazm
वो वक़्त आने पर सब वादों से मुकर गया ये मेरा ज़र्फ़ था की मैं ख़ामोशी से बिखर गया………
जब उनको सोचता हूँ तो खुद को भूल जाता हूँ कभी हाल इश्क़ मैं उनका भी ऐसा था।
ये दिल और इसकी खामोख़ा की खुशफ़हमिया की जब भी मिला उन्हें अपना समझा।
जिस घड़ी तुमसे मुलाकात होती हैवो घड़ी मेरी क़ायनात होती है।
हम तड़पड़े हैं तो कीमत है तुम्हारीजो सब्र आ जाये तो फिर बात ही क्या I
महोब्बत न सही मेरी खुशफहमी ही रहने दो की दिल में जीने की ख्वाहिश ज़रा सी और बाकी है I
Ban kar ye Gulab, mai teri zindagi me aik musk ki tarah bas jaunga..! Jo tu muskurae to pighalta hua tere labo pe cha jaunga..!!
Teri in jhil si ankho me duub jau mai, Usi rah se dil me utar jau mai..! Aik vahi chamak hai, jisse hai meri zindagi raushan, Verna to is andhere…
Is paymane me jhuk jati hai nazar, Jisme garuur bhi ho to haya ke sath..! Aksar log milte hai hume, Jinke nazar bhi behosh rehti hai..!!
Suna hai har khwabon ki tamer tere husn se hoti hai..! Bas aik aaina thodi na mukammal hai tere husn ke sath..!!