उलझा रहने दो मुझे…..
उलझा रहने दो मुझेयुहीं तुम्हारे दरमियानसुलझ गए हम अगर तोदूरियाँ दास्तां बुनेंगी।
Asli Shayari | Sher | Shayar | Ghazal | Nazm
उलझा रहने दो मुझेयुहीं तुम्हारे दरमियानसुलझ गए हम अगर तोदूरियाँ दास्तां बुनेंगी।
अपना कहकर अपनापन दिखाकरप्यार जताकर वो कह गए खुश रहना………………..
जब उनको सोचता हूँ तो खुद को भूल जाता हूँ कभी हाल इश्क़ मैं उनका भी ऐसा था।
हम तड़पड़े हैं तो कीमत है तुम्हारीजो सब्र आ जाये तो फिर बात ही क्या I
न कोई मुलाकात न किसी वादे का तकाज़ा तुमसेहम तो बस एक झूटी तस्सल्ली के तलबगार थे।
महोब्बत न सही मेरी खुशफहमी ही रहने दो की दिल में जीने की ख्वाहिश ज़रा सी और बाकी है I
कोई मुलाक़ात न किसी वादे का तकाज़ा तुमसेहम तो बस एक झूठी तस्सल्ली के तलबग़ार थे I
Maine har pal guzare in gulab se, teri in bahon me..! Meri har khwahish ko pura kea tune apne vado se..!
Teri in jhil si ankho me duub jau mai, Usi rah se dil me utar jau mai..! Aik vahi chamak hai, jisse hai meri zindagi raushan, Verna to is andhere…
Is paymane me jhuk jati hai nazar, Jisme garuur bhi ho to haya ke sath..! Aksar log milte hai hume, Jinke nazar bhi behosh rehti hai..!!