एक उम्र वो थी जब……
एक उम्र वो थी जब जादू पर भी यकीन थाएक उम्र ये है जब हकीकत पर भी शक है।
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एक उम्र वो थी जब जादू पर भी यकीन थाएक उम्र ये है जब हकीकत पर भी शक है।
न वो सपने देखो जो टूट जाएँन वो हाथ थामो जो छूट जाएँ।
वो वक़्त आने पर सब वादों से मुकर गया ये मेरा ज़र्फ़ था की मैं ख़ामोशी से बिखर गया………
जब उनको सोचता हूँ तो खुद को भूल जाता हूँ कभी हाल इश्क़ मैं उनका भी ऐसा था।
ये दिल और इसकी खामोख़ा की खुशफ़हमिया की जब भी मिला उन्हें अपना समझा।
जिस घड़ी तुमसे मुलाकात होती हैवो घड़ी मेरी क़ायनात होती है।
न कोई मुलाकात न किसी वादे का तकाज़ा तुमसेहम तो बस एक झूटी तस्सल्ली के तलबगार थे।
महोब्बत न सही मेरी खुशफहमी ही रहने दो की दिल में जीने की ख्वाहिश ज़रा सी और बाकी है I
कोई मुलाक़ात न किसी वादे का तकाज़ा तुमसेहम तो बस एक झूठी तस्सल्ली के तलबग़ार थे I
Maine har pal guzare in gulab se, teri in bahon me..! Meri har khwahish ko pura kea tune apne vado se..!