1. “ख़ुदी को कर बुलंद इतना कि हर तक़दीर से पहले, ख़ुदा बंदे से ख़ुद पूछे बता तेरी रज़ा क्या है.”
इस शेर में अल्लामा इकबाल ने ख़ुदी के महत्व को बताया है, और यह उत्कृष्टता की ओर एक कदम बढ़ाने का संकेत देता है।
2. “सितारों से आगे जहाँ और भी हैं, अभी इश्क़ के इम्तिहाँ और भी हैं.”
इस शेर में अल्लामा इकबाल ने मानवीय आत्मा के अद्वितीय गुणों की तारीफ की है और इश्क़ के अद्वितीय अनुभव को बताया है।
3. “माना कि तेरी दीद के क़ाबिल नहीं हूँ मैं, तू मेरा शौक़ देख, मेरा इंतेज़ार देख.”
इस शेर में शायर ने इश्क़ के आगमन की आस दिखाई है, जिसमें वह अपने प्यार की तरफ उत्सुक हैं।
4. “तेरे इश्क़ की इंतिहा चाहता हूँ, मेरी सादगी देख क्या चाहता हूँ.”
इस शेर में इश्क़ की अत्यंतता को बयान किया गया है, जब शायर अपने प्यार को आत्मा के साथ जोड़ते हैं।
5. “तू शाहीं है पर्वाज़ है काम तेरा, तिरे सामने आस्मां और भी हैं.”
इस शेर में अल्लामा इकबाल ने आत्मनिर्भरता और स्वाधीनता के महत्व को बताया है, जब वह आत्मा के उच्चारण का महत्व बताते हैं।
6. “नशा पिला के गिराना तो सब को आता है, मज़ा तो तब है कि गिर्तों को थाम ले साक़ी.”
इस शेर में विश्वास और आनंद का महत्व बताया गया है, जब आप संघर्षों को पार करते हैं और अपनी मंजिल की ओर बढ़ते हैं।
7. “हज़ारों साल नर्गिस अपनी बेनूरी पे रोती है, बड़ी मुश्किल से होता है चमन में दीदावर पैदा.”
इस शेर में सृजनात्मकता के महत्व को बताया गया है, जब शायर ने सृजनात्मक प्रक्रिया की महत्वपूर्णता को जताया है।
8. “अपने मन में डूब कर पाज़ सफर दिया था क्यूँ, तू अगर मेरा नहीं बन्ता, तो बन अपना तो बन.”
इस शेर में स्वतंत्रता और आत्मसमर्पण की बदलती धारा को बताया गया है, जब आप अपने मन की दुनिया को जीते हैं।
9. “अच्छा है दिल के साथ रहे पासबान-ए-अक़ल, लेकिन कभी कभी इसे तन्हा भी छोड़ दे.”
इस शेर में संतुलन की महत्वपूर्णता को बताया गया है, जब आप अपने जीवन के सभी पहलुओं का सामंजस्य बनाते हैं।
10. “दिल से जो बात निकलती है, असर रखती है, पर नहीं ताक़त-ए-पर्वाज़ मगर रखती है.”
इस शेर में आदर्श और आत्मसमर्पण की महत्वपूर्णता को बताया गया है, जब आप अपने उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए काम करते हैं।
11. “जिस खेत से दहकां को मयस्सर नहीं रोज़ी, उस खेत के हर खोशा-ए-गंधम को जला दो.”
इस शेर में उत्सव की अहमियत बताई गई है, जब आप अपने काम को पूरा करने के लिए अपने संसाधनों का सही तरीके से उपयोग करते हैं।
12. “यक़ीन मोहक्कम अमल, पैहम मोहब्बत, फ़ातेह-ए-आलम, जिहाद-ए-ज़िन्दगानी में हैं ये मर्दों की शमशीरें.”
इस शेर में साहस और उत्साह के महत्व को बताया गया है, जब आप अपने जीवन के लिए संघर्ष करते हैं और सफलता प्राप्त करते हैं।
13. “अनोखी वज़.आ है सारे ज़माने से निराले हैं, ये आशिक कौन सी बस्ती के यारब रहने वाले हैं.”
इस शेर में आदर्शपुर्ण और अनूठे प्यार के महत्व को बताया गया है, जब आप अपने प्यार के लिए सब कुछ त्याग देते हैं।
14. “बाग़-ए-बहिश्त से मुझे हुक़्म-ए-सफ़र दिया था क्यूँ, कार-ए-जहां दराज़ है अब मेरा इंतेज़ार कर.”
इस शेर में उत्कृष्टता के लिए उत्कृष्टता की ओर एक कदम बढ़ाने का संकेत दिया गया है, जब आप अपने उद्देश्य की प्राप्ति के लिए अपनी मेहनत करते हैं।
15. “तू ने ये क्या ग़ज़ब किया, मुझे भी फ़ाश कर दिया, मैं ही तो एक राज़ था सीना-ए-काएनात में.”
इस शेर में अपनी विशेषता को स्वीकार करने की महत्वपूर्णता बताई गई है, जब आप खुद को स्वीकार करते हैं और अपने असली आत्मा का परिचय करते हैं।
16. “ना पूछो मुझ से लज़्ज़त ख़ानमां-बरबाद रहने की, नशेमन सैकड़ों में ने बना कर फूंक डाले हैं.”
इस शेर में जीवन की अस्थायिता और आत्म-नियंत्रण की महत्वपूर्णता को बताया गया है, जब आप अपने उद्देश्यों के प्रति पूरी तरह समर्पित होते हैं।
17. “उरूज-ए-आदम-ए-ख़ाकी से अंजुम सहमे जाते हैं, कि ये टूटा हुआ तारा माह-ए-कामिल न बन जाए.”
इस शेर में संघर्ष और समर्पण के महत्व को बताया गया है, जब आप अपने लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए काम करते हैं और निरंतर प्रयास करते हैं।
18. “तूफाँ न कभी आया कभी बिगड़ न कभी गिरा, ना डर उस का रहा ना ग़ाम उसका रहा.”
इस शेर में सहस की महत्वपूर्णता और आत्मविश्वास की महत्वपूर्णता को बताया गया है, जब आप जीवन के चुनौतियों का सामना करते हैं।
19. “हर दर्द-ओ-ग़म का सिलसिला क़यामत तक रहे, हम आदमी हैं हमें ख़ुद ख़ुदा करके गुज़रना है।”
इस शेर में आत्मा की आदर्शपुर्णता को बताया गया है, जब आप अपने जीवन के अधिकांश पाठों को सीखने और समझने का प्रयास करते हैं।
20. “इब्न-ए-आदम से हुक्मरां के लिए कुछ ख़ास है, इनसान को ख़ुद को पहचानने का दौर लगाना है.”
इस शेर में आत्म-समझ की महत्वपूर्णता और जीवन के अद्वितीय अनुभव की महत्वपूर्णता को बताया गया है, जब आप अपने आत्मा को समझने का प्रयास करते हैं।