लब-ए-ख़ुश्क दर-तिश्नगी-मुर्दगाँ का | Mirza Ghalib
लब-ए-ख़ुश्क दर-तिश्नगी-मुर्दगाँ का
ज़ियारत-कदा हूँ दिल-आज़ुर्दगाँ का
हमा ना-उमीदी हमा बद-गुमानी
मैं दिल हूँ फ़रेब-ए-वफ़ा-ख़ुर्दगाँ का
शगुफ़्तन कमीं-गाह-ए-तक़रीब-जूई
तसव्वुर हूँ बे-मोजिब आज़ुर्दगाँ का
ग़रीब-ए-सितम-दीदा-ए-बाज़-गश्तन
सुख़न हूँ सुख़न बर लब-आवुर्दगाँ का
सरापा यक-आईना-दार-ए-शिकस्तन
इरादा हूँ यक-आलम-अफ़्सुर्दगाँ का
ब-सूरत तकल्लुफ़ ब-मअ’नी तअस्सुफ़
‘असद’ मैं तबस्सुम हूँ पज़मुर्दगाँ का