कोई मुलाक़ात न किसी वादे का तकाज़ा तुमसे
हम तो बस एक झूठी तस्सल्ली के तलबग़ार थे I
Asli Shayari | Sher | Shayar | Ghazal | Nazm
कोई मुलाक़ात न किसी वादे का तकाज़ा तुमसे
हम तो बस एक झूठी तस्सल्ली के तलबग़ार थे I
Real Shayari Ek Koshish hai Duniya ke tamaan shayar ko ek jagah laane ki.