अपने दीवार-ओ-दर से पूछते हैं | राहत इंदौरी
अपने दीवार-ओ-दर से पूछते हैं | राहत इंदौरी अपने दीवार-ओ-दर से पूछते हैं घर के हालात घर से पूछते हैं क्यूँ अकेले हैं क़ाफ़िले वाले एक इक हम-सफ़र से पूछते…
Asli Shayari | Sher | Shayar | Ghazal | Nazm
अपने दीवार-ओ-दर से पूछते हैं | राहत इंदौरी अपने दीवार-ओ-दर से पूछते हैं घर के हालात घर से पूछते हैं क्यूँ अकेले हैं क़ाफ़िले वाले एक इक हम-सफ़र से पूछते…
जो ये हर-सू फ़लक मंज़र खड़े हैं | राहत इन्दोरी जो ये हर-सू फ़लक मंज़र खड़े हैं न जाने किस के पैरों पर खड़े हैं तुला है धूप बरसाने पे…
सियाही जैसे गिर जाए दम-ए-तहरीर काग़ज़ पर | मिर्ज़ा ग़ालिब जुनूँ तोहमत-कश-ए-तस्कीं न हो गर शादमानी की नमक-पाश-ए-ख़राश-ए-दिल है लज़्ज़त ज़िंदगानी की कशाकश-हा-ए-हस्ती से करे क्या सई-ए-आज़ादी हुइ ज़ंजीर-ए-मौज-ए-आब को…
है वस्ल हिज्र आलम-ए-तमकीन-ओ-ज़ब्त में | मिर्ज़ा ग़ालिब है वस्ल हिज्र आलम-ए-तमकीन-ओ-ज़ब्त में माशूक़-ए-शोख़ ओ आशिक़-ए-दीवाना चाहिए उस लब से मिल ही जाएगा बोसा कभी तो हाँ शौक़-ए-फ़ुज़ूल ओ जुरअत-ए-रिंदाना…
गुलशन में बंदोबस्त ब-रंग-ए-दिगर है आज | मिर्ज़ा ग़ालिब गुलशन में बंदोबस्त ब-रंग-ए-दिगर है आज क़ुमरी का तौक़ हल्क़ा-ए-बैरून-ए-दर है आज आता है एक पारा-ए-दिल हर फ़ुग़ाँ के साथ तार-ए-नफ़स…
ख़मोशियों में तमाशा अदा निकलती है | मिर्ज़ा ग़ालिब ख़मोशियों में तमाशा अदा निकलती है निगाह दिल से तिरे सुर्मा-सा निकलती है फ़शार-ए-तंगी-ए-ख़ल्वत से बनती है शबनम सबा जो ग़ुंचे…
ख़मोशियों में तमाशा अदा निकलती है | मिर्ज़ा ग़ालिब ख़मोशियों में तमाशा अदा निकलती है निगाह दिल से तिरे सुर्मा-सा निकलती है फ़शार-ए-तंगी-ए-ख़ल्वत से बनती है शबनम सबा जो ग़ुंचे…
हो गई है ग़ैर की शीरीं-बयानी कारगर | मिर्ज़ा ग़ालिब हो गई है ग़ैर की शीरीं-बयानी कारगर इश्क़ का उस को गुमाँ हम बे-ज़बानों पर नहीं ज़ब्त से मतलब ब-जुज़…
मिरी हस्ती फ़ज़ा-ए-हैरत आबाद-ए-तमन्ना है | Mirza Ghalib मिरी हस्ती फ़ज़ा-ए-हैरत आबाद-ए-तमन्ना है जिसे कहते हैं नाला वो उसी आलम का अन्क़ा है ख़िज़ाँ क्या फ़स्ल-ए-गुल कहते हैं किस को…
लब-ए-ख़ुश्क दर-तिश्नगी-मुर्दगाँ का | Mirza Ghalib लब-ए-ख़ुश्क दर-तिश्नगी-मुर्दगाँ का ज़ियारत-कदा हूँ दिल-आज़ुर्दगाँ का हमा ना-उमीदी हमा बद-गुमानी मैं दिल हूँ फ़रेब-ए-वफ़ा-ख़ुर्दगाँ का शगुफ़्तन कमीं-गाह-ए-तक़रीब-जूई तसव्वुर हूँ बे-मोजिब आज़ुर्दगाँ का ग़रीब-ए-सितम-दीदा-ए-बाज़-गश्तन…