की खुद से ही अभी अंजान है हम….
की क्या बताएं तआरुफ़ अपनाकी खुद से ही अभी अंजान है हम।
Asli Shayari | Sher | Shayar | Ghazal | Nazm
की क्या बताएं तआरुफ़ अपनाकी खुद से ही अभी अंजान है हम।
कोई दर्द न था जब तक हमदर्द न थाहमदर्द क्या मिला की ज़ख्म कोई नया।
मुझे आबाद कर या मुझे फ़ना करे कोईउसकी यादो से मुझसे जुदा करे कोई Like4:02 pm
कोई पूछे आशिको से जूनून क्या हैइश्क़ क्या है दर्द की लज़्ज़त क्या है।
सबब लूटने का गर कोई पूछे तो ये कहनासाथ उनका न हो तो हमें जीना नहीं आता।
जाने ऐसी भी क्या तिश्नगी थी उनसेआखरी सांस थी और तसव्वुर उनके साथ का।
इजाज़त हो तो कुछ अर्ज़ करेंवो लूट कर भी हमें अमीर कर गया।
कुछ चाय सा इश्क़ है हमें आप सेन मिलो तो चैन नहीं आता।
दूर जाने का उसे क्या गम होगापास होकर भी वो कौन सा खुश था।
कभी उतरो तो इश्क़ के दरिया मेंकी किनारो के मुसाफिर हम नहीं हैं।