रिश्तो से मुकर जाना दस्तूर है….
रिश्तो से मुकर जाना दस्तूर है दुनिया कामोहोब्बत जिन से हो जाये वो दिलो से नहीं जाते।
Asli Shayari | Sher | Shayar | Ghazal | Nazm
रिश्तो से मुकर जाना दस्तूर है दुनिया कामोहोब्बत जिन से हो जाये वो दिलो से नहीं जाते।
Jalate hain hum apne dil ko diye ki tarah,Teri zindagi mein khushiyon ki roshni lane ke liye,Seh jate hain har chubhan ko apne pairon tale,Tera rahun mein phool bichhane ke…
कुछ दिन तो मलाल मोहोब्बत मैं फ़र्ज़ हैताउम्र गम उठाने के हम भी शौकीन नहीं।
ख़ामोशी बढ़ गयी है इस्कदरकी सन्नाटो की भी चीखे सुनाई पड़ती हैं।
एक शोर है मुझ मैंजो खामोश बहोत है।
जो कभी हो नहीं सकता मेराफिर क्यों वही अपना लगता है।
एक खलिश मेरे दिल में कुछ यु रह गयीज़िन्दगी मैं ज़रा ज़िन्दगी कुछ कम रह गयी।
घर से दूर मैं आसमा नापने निकलापर एक घोसला हर शाम याद आता है।
कोई सुबह हो ऐसी तेरा दीदार होकोई शाम तो ऐसी आये जो तू साथ हो।