अजीब सी आदत है अपनी
अजीब सी आदत है अपनी और गजब सी फितरत है चाहे प्यार हो या नफरत बहुत सिद्धत से करते है
Asli Shayari | Sher | Shayar | Ghazal | Nazm
अजीब सी आदत है अपनी और गजब सी फितरत है चाहे प्यार हो या नफरत बहुत सिद्धत से करते है
कभी कभी विना गलती के भी माफ़ी मांग लेते है हम क्योकि माफ़ी मांग लेने से कोई छोटा नहीं होता
मेरी मोहब्बत बेजुबां होती रही कोई नहीं आया मेरा हाल पूछने मेरी धड़कने अपना वजूद खोती रही बस बारिश थी जो मेरे साथ रोती रही
ना नींद आती है रातों में ना दिन में करार आता है हर घडी हर पल में बस तू ही तू याद आता रहता है
हर कोई प्यार के लिए तड़पता है हर कोई प्यार के लिए रोता है हमारे प्यार को गलत न समझिये क्योकि प्यार तो दोस्ती में भी होता है
उसको चाहा लेकिन इजहार नहीं करना नहीं आया उम्र कट गयी लेकिन हमे प्यार करना नहीं आया उसने हमसे कुछ माँगा वो भी जुदाई और हमे उनसे इंकार करना नहीं…
जितना भूलना चाहोगे उतनी याद हमारी आएगी क्योकि तस्वीर बन गयी है दिल की गहराई में हमारी ढूढ़ने चले हो हमसे बेहतर दोस्त तुम देखना तलाश हमसे शुरू होकर हम…
Kisi ko bhulane mai der lagti hai Kiye huye wado ko Nibhane mai der lagti hai Pyar to pal bhar mai ho jata hai Par sachhe pyar ko pane mai…
किसी को मोहब्बत की गहराई मार डालती है किसी को मोहब्बत की सच्चाई मार डालती है मोहब्बत करके कोई नई बच पाया आज तक जो बच गया उसको तन्हाई मर…
जल्दी भुला देंगे तुमको थोड़ा सा सब्र तो रखो अंग अंग में बसे हो थोड़ा वक़्त तो लगेगा ही