ज़हर को दूध समझ कर कैसे पिया जाये
दिल हो अगर ज़ख़्मी तो उसे कैसे सिया जाये
जब खुद पर ही यकीन नहीं रहा मुझे
तो तुझ पर यकीन अब कैसे किया जाये
ज़िन्दगी है मेरी बदहाल न जाने कब से
बदहाल हुई ज़िदंगी को अब कैसे जिया जाये
Asli Shayari | Sher | Shayar | Ghazal | Nazm
ज़हर को दूध समझ कर कैसे पिया जाये
दिल हो अगर ज़ख़्मी तो उसे कैसे सिया जाये
जब खुद पर ही यकीन नहीं रहा मुझे
तो तुझ पर यकीन अब कैसे किया जाये
ज़िन्दगी है मेरी बदहाल न जाने कब से
बदहाल हुई ज़िदंगी को अब कैसे जिया जाये
Real Shayari Ek Koshish hai Duniya ke tamaan shayar ko ek jagah laane ki.