ख़ुश रहे या बहुत उदास रहे
ज़िन्दगी तेरे आस-पास रहे
चाँद इन बदलियों से निकलेगा
कोई आयेगा दिल को आस रहे
हम मुहब्बत के फूल हैं शायद
कोई काँटा भी आस-पास रहे
मेरे सीने में इस तरह से बस जा
मेरी सांसों में तेरी बास रहे
आज हम सब के साथ ख़ूब हँसे
और फिर देर तक उदास रहे
दोनों इक दूसरे का मुंह देखें
आईना आईने के पास रहे
जब भी कसने लगा उतार दिया
इस बदन पर कई लिबास रहे
- बशीर बद्र