रूठे हुए अपनों को मना लूंगा एक दिन
दिल का घर फिर से बसा लूंगा एक दिन
लगने लगे जहाँ से हर मंज़र मेरा मुझे
ख़्वाबों का वो जहान बना लूंगा एक दिन
अभी तो शुरुआत हुई है इस सफ़र की
बेरंग ज़िन्दगी में रंग सजा लूंगा एक दिन ।
Asli Shayari | Sher | Shayar | Ghazal | Nazm
रूठे हुए अपनों को मना लूंगा एक दिन
दिल का घर फिर से बसा लूंगा एक दिन
लगने लगे जहाँ से हर मंज़र मेरा मुझे
ख़्वाबों का वो जहान बना लूंगा एक दिन
अभी तो शुरुआत हुई है इस सफ़र की
बेरंग ज़िन्दगी में रंग सजा लूंगा एक दिन ।
Real Shayari Ek Koshish hai Duniya ke tamaan shayar ko ek jagah laane ki.