आपके मजबूत दिमाग पर दुख या अलगाव की या अलगाव की अवश्यकता का दर्द भी अपने बलवान दिमाग पर बोझ डालता है।
1. “अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख्वाबों में मिलें, जैसे सूखे हुए फूल किताबों में मिलें.” – अहमद फ़राज
2. “किस किस को बताएँगे जुदाई का सबब हम, तू मुझसे ख़फ़ा है तो ज़माने के लिए आ.” – अहमद फ़राज
3. “अब जुदाई के सफर को मेरे आसान करो, तुम मुझे ख़्वाब में आ कर न परेशान करो.” – मुनव्वर राना
4. “तुम से बिछड़कर जिंदा हैं, जान बहुत शर्मिंदा हैं.” – इफ़्तिखार आरिफ
5. “मिलना था इत्तिफाक, बिछड़ना नसीब था, वो उतनी दूर हो गया जितनी क़रीब था.” – अंजुम रेहबर
6. “जिस की आँखों में कटी थीं सदियां, उसने सदियों की जुदाई दी है.” – गुलज़ार
7. “उस को रुक्शत तो किया था मुझे मालूम न था, सारा घर ले गया घर छोड़ के जाने वाला.” – निदा फ़ाज़ली
8. “कुछ ख़बर है तुझे ओ चैन से सोने वाले, रात भर कौन तेरी याद में बेदार रहा.” – हिज्र नाज़िम अली ख़ान
9. “यूँ लगे दोस्त तिरा मुझसे ख़फ़ा हो जाना, जैसे फूल से ख़ुश्बू का जुदाहो जाना.” – क़तील शिफ़ाई
10. “बिछड़ा कुछ इस अदा से कि रुत ही बदल गई, इक शख़्स सारे शहर को वीरान कर गया.” – ख़ालिद शरीफ
11. “वस्ल में रंग उड़ गया मेरा, क्या जुदाई को मुँह दिखाऊंगा.” – मीर ताक़ी मीर
12. “याद है अब तक तुझ से बिछड़ने की वो अँधेरी शाम मुझे, तू ख़ामोश खड़ा था लेकिन बातें करता था काजल.” – नसीर क़ाज़मी
13. “मैंने समझा था कि लौट आते हैं जाने वाले, तू ने जाकर तो जुदाई मेरी किस्मत कर दी.” – अहमद नदीम क़ासमी
14. “उसी मक़ाम पे कल मुझको देख कर तन्हा, बहुत उदास हुए फूल बेचने वाले.” – जमाल एहसानी
15. “महीने वसल के घड़ियों की सूरत उड़ते जाते हैं, मगर घड़ियां जुदाई की गुज़रती हैं महीनों में.” – अल्लामा इक़बाल
16. “लगी रहती है अश्कों की झड़ी गर्मी हो सर्दी हो, नहीं रुकती कभी बरसात जब से तुम नहीं आए.” – अंवर शूर
17. “तुझ से क़िस्मत में मेरी सूरत-ए-कुफ्ल-ए-अबजद, था लिखा बात के बंटे ही जुदाहो हो जाना.” – मिर्ज़ा ग़ालिब
18. “ख़ुद चले आओ या बुला भेजो, रात अकेले बसर नहीं होती.” – आज़िज़ लखनवी
19. “चमकते चाँद से चेहरों के मंज़र से निकल आए, ख़ुदा हाफ़िज़ कहा बोसा लिया घर से निकल आए.” – फ़ुज़ैल जाफ़री