काग़ज़ काग़ज़ हर्फ़ सजाया करता है,
तन्हाई में शहर बसाया करता है,
कैसा पागल शख्स है सारी-सारी रात,
दीवारों को दर्द सुनाया करता है,
रो देता है आप ही अपनी बातों पर,
और फिर खुद को आप हंसाया करता है।
Asli Shayari | Sher | Shayar | Ghazal | Nazm
काग़ज़ काग़ज़ हर्फ़ सजाया करता है,
तन्हाई में शहर बसाया करता है,
कैसा पागल शख्स है सारी-सारी रात,
दीवारों को दर्द सुनाया करता है,
रो देता है आप ही अपनी बातों पर,
और फिर खुद को आप हंसाया करता है।
Real Shayari Ek Koshish hai Duniya ke tamaan shayar ko ek jagah laane ki.