एक से हो गए मौसम हो, कि चेहरे सारे
मेरी आँखों से कहीं खो गया मंजर मेरा
किससे पूंछू कि कहाँ गुम हूँ कई बरसों से
हर जगह ढूंढता फिरता है मुझे घर मेरा
मुद्दतें हो गई इक ख्वाब सुनहरा देखे
जागता रहता है हर नींद में बिस्तर मेरा
Asli Shayari | Sher | Shayar | Ghazal | Nazm
एक से हो गए मौसम हो, कि चेहरे सारे
मेरी आँखों से कहीं खो गया मंजर मेरा
किससे पूंछू कि कहाँ गुम हूँ कई बरसों से
हर जगह ढूंढता फिरता है मुझे घर मेरा
मुद्दतें हो गई इक ख्वाब सुनहरा देखे
जागता रहता है हर नींद में बिस्तर मेरा
Real Shayari Ek Koshish hai Duniya ke tamaan shayar ko ek jagah laane ki.