इन ग़म की गलियों में
इन ग़म की गलियों में कब तक ये दर्द हमें तड़पाएगा,
इन रस्तों पे चलते-चलते हमदर्द कोई मिल जाएगा..!!
जो बात निकलती है दिल से कुछ उसका असर होता है,
कहने वाला तो रोता है सुनने वाला भी रोता है..!!
बड़े शौक से बनाया तुमने मेरे दिल मे अपना घर,
जब रहने की बारी आई तो तुमने ठिकाना बदल दिया..!!
इश्क का धंधा ही बंद कर दिया साहेब,
मुनाफे में जेब जले.. और घाटे में दिल..!!
शायद कुछ दिन और लगेंगे, ज़ख़्मे-दिल के भरने में,
जो अक्सर याद आते थे वो कभी-कभी याद आते हैं..!!
अपने वजूद पर इतना न इतरा ए ज़िन्दगी,
वो तो मौत है जो तुझे मोहलत देती जा रही है..!!
कुछ तो बात है तेरी फितरत में ऐ दोस्त,
वरना तुझ को याद करने की खता हम बार-बार न करते..!!
चुपचाप गुज़ार देगें तेरे बिना भी ये ज़िन्दगी,
लोगो को सिखा देगें मोहब्बत ऐसे भी होती है..!!
ग़ैरों को भला समझे और मुझ को बुरा जाना,
समझे भी तो क्या समझे जाना भी तो क्या जाना..!!
किनारों से मुझे ऐ नाख़ुदा दूर ही रखना,
वहाँ ले कर चलो, तूफ़ान जहां से उठने वाला हैं..!!
आंखों देखी कहने वाले, पहले भी कम-कम ही थे,
अब तो सब ही सुनी-सुनाई बातों को दोहराते हैं..!!
मंज़िलों से गुमराह भी कर देते हैं कुछ लोग,
हर किसी से रास्ता पूछना अच्छा नहीं होता..!!
दिल से पूछो तो आज भी तुम मेरे ही हो,
ये ओर बात है कि किस्मत दग़ा कर गयी..!!
कौन कहता है मुसाफिर जख्मी नही होते,
रास्ते गवाह हैं कम्बख्त गवाही नही देते..!!
अब जुदाई के सफ़र को मिरे आसान करो,
तुम मुझे ख़्वाब में आ कर न परेशान करो..!!
इक रात चाँदनी मिरे बिस्तर पे आई थी,
मैं ने तराश कर तिरा चेहरा बना दिया..!!
सुख भोर के टिमटिमाते हुए तारे की तरह है,
देखते ही देखते ये ख़त्म हो जाता है..!!
एक ही समानता है पतंग औऱ जिन्दगी में,
ऊँचाई में हो तब तक ही ‘वाह – वाह’ होती है..!!
तुमसे ऐसा भी क्या रिश्ता है,
दर्द कोई भी हो.. याद तेरी ही आती है..!!
काग़ज़ पे तो अदालत चलती है,
हमने तो तेरी आँखो के फैसले मंजूर किये..!!
एम्बुलेंस सा हो गया है ये जिस्म,
सारा दिन घायल दिल को लिये फिरता है..!!
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