घर से दूर नौकरी शायरी |
घर से दूर नौकरी शायरी
घर से दूर नौकरी,
कितनी मुश्किल होती है,
परिवार से दूर रहना,
कितना कठिन होता है।
हर रोज सुबह उठना,
और नए शहर जाना,
अपनों से दूर रहना,
कितना मुश्किल होता है।
घर की याद सताना,
माँ-बाप की याद आना,
बच्चों की याद आना,
कितना कठिन होता है।
परिवार के लिए मेहनत करना,
उनकी खुशी के लिए जीना,
यही सोचकर मन को मजबूत करना,
यही तो जीवन का सच है।
घर से दूर नौकरी,
कितनी मुश्किल होती है,
परिवार के लिए मेहनत करना,
इसमें ही सच्चा सुख है।
शायरी का अर्थ
यह शायरी घर से दूर नौकरी करने वाले लोगों की कठिनाइयों को बयां करती है। घर से दूर रहना, परिवार से दूर रहना, हर रोज नए शहर जाना, इन सब चीजों से गुजरना कितना मुश्किल होता है। लेकिन परिवार के लिए मेहनत करना, उनकी खुशी के लिए जीना, इसी सोचकर मन को मजबूत करना ही जीवन का सच्चा सुख है।
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घर से दूर नौकरी शायरी
ज़िंदगी की गाड़ी चलती है,
पटरी दूर-दूर,
घर की ममता छूटती है,
हर मुकाम पर मजबूर।
नौकरी की डोरियों में,
बंधे हैं अरमान सारे,
हर शाम सूरज ढलता है,
आँखों में रहते नज़ारे।
माँ की लोरी सुनाई दे,
पिता का प्यार ह्रदय में,
बच्चों की हँसी गूंजती है,
इस दूर के परदेस में।
फोन की खिड़की से झाँकते,
यादों के सागर तट पर,
लौट कर आने की आसें,
खिंची हैं इसी हवा में।
पर ज़िम्मेदारी की ज़ंजीरें,
बांधे रखती हैं पाँव,
परिवार के सपनों को,
पूरा करना ही अभिलाष।
दूरियां मिटा देगा वक्त,
ज़रूर आएगा वो पल,
जब लौटेंगे हम फिर लौटकर,
अपने घोंसले की छाँव में।
तो चलते हैं इसी धुन में,
हर मुश्किल को हराएँगे,
घर की खुशियों के दीपक,
दूर रहकर ही जलाएँगे।
शायरी का अर्थ
यह शायरी उन दूर-दराज जाकर नौकरी करने वालों की भावनाओं को बयां करती है, जो घर से दूर होने के दुःख के बावजूद ज़िम्मेदारियों को पूरा करते हैं। इस शायरी में घर की याद, माँ-बाप का प्यार, बच्चों की हँसी और फिर लौट कर आने की उम्मीद को खूबसूरती से पिरोया गया है।
मुझे उम्मीद है कि यह शायरी आपको पसंद आएगी।